Kavita Jha

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एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023


बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है
वो तो इक नदिया समान ही तो बहती है
आज इसको तो कल उसको बुलंदी मिल जाएगी
जो मेहनत करेंगे खुशी उनकी ही झोली में  आएगी 
हर हाल के बाद जीत भी मिलती है उन्हें
मन में जीतने की चाहत होती है जिन्हें
घमंड न करना कभी जो बुलंदी मिल जाए
वो किसी और के हिस्से में भी कभी भी चली जाए

कविता झा'काव्य'अविका
# आधे अधूरे मिसरे प्रसिद्ध 

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2 Comments

बेहतरीन

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shwetasoni

15-Aug-2023 07:27 PM

nice

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